उपराज्यपाल अनिल बैजल ने फिर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगया है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरे के मुद्दे पर वह मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता सहित मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों से मिलने को तैयार थे। लेकिन, मुख्यमंत्री ने ही मिलकर मुद्देे सुलझाने के बजाय धरने पर बैठना मुनासिब समझा। उपराज्यपाल ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनके द्वारा निर्वाचित सरकार की कैमरे लगाने की योजना को लटकाने अथवा रोकने के कोई भी निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।
तथ्यों को मुख्यमंत्री ने किया नजरअंदाज
मुख्यमंत्री के तमाम आरोपों के बीच राजनिवास से सोमवार शाम जारी एक बयान में कहा गया कि बिना किसी तथ्य और सबूतों के मुख्यमंत्री उपराज्यपाल पर सीसीटीवी लगाने की योजना को लेकर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने वास्तविक तथ्यों को भी नजरअंदाज कर दिया है। सच तो यह है कि उनकी कैबिनेट ने ही सीसीटीवी लगाने के प्रस्ताव को अभी तक नहीं माना है। अभी तक न तो कैबिनेट नोट तैयार हुआ है और न ऐसा कोई प्रस्ताव स्वीकृति के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा गया है।
राज्यपाल के मुताबिक सरकार का उद्देश्य सिर्फ सीसीटीवी कैमरे लगाना नहीं बल्कि सीसीटीवी कैमरे किस प्रकार से महिलाओं, वृद्धों और समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा करे, यह होना चाहिए। गोपनीयता के मौलिक अधिकार और सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट 2000 से समझौता करके भला कैसे यह अपराध की रोकथाम और जांच करने में सहायक हो सकेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री और उनके प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल से मिलने से मना कर दिया है। बावजूद इसके उपराज्यपाल इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से मिलकर मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं।