मंगलवार से उत्तराखंड के करीब तीन हजार वन बीट कर्मचारी प्रदेश में जंगलों को जलता छोड़कर बेमियादी हड़ताल पर चले गए। मंगलवार दोपहर बीट कर्मचारी संगठन की देहरादून में मुख्य वन संरक्षक से वार्ता में कोई समाधान नहीं निकलने पर कर्मचारियों ने काम पूरी तरह ठप कर दिया। वहीं, दूसरी ओर वनाग्नि की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं।
मंगलवार को हल्द्वानी के तिकोनिया स्थित वृत्त कार्यालय में वन आरक्षी एवं वन बीट अधिकारी संघ ने धरना-प्रदर्शन किया। कर्मचारी संघ वृत्त अध्यक्ष शशिवर्धन अधिकारी ने कहा कि वन विभाग के प्रमुख से दून में हुई वार्ता में ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। इस कारण कर्मचारी मजबूरन हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल के तहत सभी वृत्त कार्यालयों में कर्मचारी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।
धरने में दीप जोशी, दीवान रौतेला, इंदर लाल, किशन बिष्ट, दिनेश पांडे, मदन कार्की, आशुतोष आर्या, ललित हर्बोला, नवीन महरा, कमलेश कुमार, गीता बिष्ट, बेबी जोशी, पुष्पा तिवारी, गीता कालाकोटी, ललिता पाठक, ललिता नेगी, उमा बोरा, सुखबीर कौर, बबीता बेलवाल, नित्यानंद भट्ट, ममता गोस्वामी, मोनिका ठाकुर, ज्योति जोशी, मुख्तार अहमद, आशुतोष सती, भूपाल सिंह, हेमचंद्र जोशी आदि रहे।
वन विभाग की सबसे पहली कड़ी बीट अधिकारी
बीट कर्मचारी वन विभाग की पहली और सबसे जरूरी कड़ी में शामिल है। इसके अंतर्गत एक बीट की जिम्मेदारी एक कर्मचारी के हिस्से होती है। बीट को जोड़कर वन रेंज तैयार होती है। ऐसे में बीट कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से जंगलों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। बढ़ती गर्मी के साथ ही प्रदेश में जंगल भी धधकने लगे हैं। वन विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि आग की 183 घटनाएं प्रदेश में रिकॉर्ड हुई हैं। इसमें 275 हेक्टेअर जंगल खाक हो चुके हैं।