News : उत्तराखंड में प्रस्तावित पंचायत चुनाव 2025 को लेकर जारी विवाद में सोमवार को एक बड़ा मोड़ आया जब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर लगी रोक को बरकरार रखते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए मंगलवार की तारीख तय की।
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था के तहत त्रिस्तरीय चुनावों की तैयारियों को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कवायद जोरों पर थी, लेकिन बीते दिनों दाखिल की गई एक याचिका के बाद चुनाव प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगाई गई थी।
News : क्या है मामला?
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार द्वारा जारी आरक्षण रोस्टर में कई खामियां हैं, जिससे सामाजिक न्याय की अवधारणा को ठेस पहुंचती है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि पंचायत चुनावों में महिलाओं, अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों को मिलने वाला आरक्षण तय मानकों के अनुरूप नहीं है।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने पहले ही अंतरिम आदेश के तहत चुनाव प्रक्रिया को स्थगित कर दिया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक इस मामले में पूर्ण रूप से स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती।
News : राज्य सरकार का पक्ष
सरकार की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि पंचायत चुनावों की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और देरी होने से न केवल प्रशासनिक कार्य प्रभावित होंगे बल्कि गांव स्तर पर विकास कार्यों में भी बाधा आएगी।
सरकारी पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि आरक्षण रोस्टर विधिसम्मत रूप से तैयार किया गया है और उसमें सभी वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है।
News : हाईकोर्ट की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि याचिका में उठाए गए बिंदु गंभीर हैं और इन पर विस्तृत सुनवाई आवश्यक है। न्यायालय ने कहा कि पंचायत लोकतंत्र की जड़ है और इसमें पारदर्शिता और सामाजिक न्याय का पालन सर्वोपरि है।
अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग को भी निर्देशित किया है कि वह अगली सुनवाई तक किसी प्रकार की अधिसूचना या चुनाव कार्यक्रम घोषित न करे।
News : राजनीतिक प्रतिक्रिया
हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर पंचायत चुनावों में आरक्षण नीति के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।
कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार जानबूझकर पंचायत स्तर पर पिछड़े और वंचित वर्गों की आवाज को दबाना चाहती है। वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि अदालत के निर्णय का सम्मान किया जाएगा और सभी आवश्यक कानूनी पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा।
News : क्या हो सकता है आगे?
मंगलवार को प्रस्तावित अगली सुनवाई में कोर्ट सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोई अंतिम फैसला ले सकती है। यदि कोर्ट चुनाव पर लगी रोक को हटाता है तो राज्य निर्वाचन आयोग शीघ्र ही अधिसूचना जारी कर सकता है।
हालांकि, अगर अदालत को यह प्रतीत होता है कि आरक्षण रोस्टर में सुधार की आवश्यकता है, तो राज्य सरकार को नये सिरे से पूरी प्रक्रिया की समीक्षा करनी पड़ सकती है, जिससे चुनाव में और देरी हो सकती है।
उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 पर फिलहाल सस्पेंस बरकरार है। हाईकोर्ट के अगले आदेश का सभी को बेसब्री से इंतजार है। यह मामला न केवल चुनाव प्रक्रिया बल्कि सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। अदालत के आगामी फैसले पर ही राज्य की ग्राम पंचायतों का भविष्य निर्भर करेगा।
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