Uttarakhand में शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए नहीं देनी होगी फीस, CM धामी का बड़ा ऐलान!

Uttarakhand : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की जनता के लिए एक और राहत भरी घोषणा की है। अब प्रदेश में विवाह पंजीकरण के लिए किसी भी प्रकार की शुल्क नहीं देनी होगी। यह निर्णय खासतौर पर आम जनता और ग्रामीण क्षेत्रों के उन लोगों को राहत देगा, जो अभी तक शादी रजिस्ट्रेशन की फीस के कारण इसे टालते रहे हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में एक कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा करते हुए कहा कि यह कदम ‘सरल प्रशासन, सुलभ नागरिक सेवा’ के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन है। सरकार का उद्देश्य विवाह पंजीकरण को 100% सुनिश्चित कराना है और इसके लिए आर्थिक बोझ को हटाना प्राथमिक लक्ष्य है।

Uttarakhand : मुख्यमंत्री धामी का बयान

CM धामी ने कहा, “राज्य सरकार समाज के प्रत्येक वर्ग को न्याय और सुलभ सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। विवाह पंजीकरण एक कानूनी अधिकार है और इसमें कोई भी आर्थिक अड़चन नहीं आनी चाहिए। हम चाहते हैं कि हर विवाह कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त हो और इसके लिए अब कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।”

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि यह निर्णय खासकर गरीब, मजदूर, ग्रामीण और पिछड़े वर्गों के हितों को ध्यान में रखकर लिया गया है, जिनके लिए अब तक यह प्रक्रिया कठिन और खर्चीली थी।

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Uttarakhand : पहले कितना लगता था शुल्क?

अब तक उत्तराखंड में विवाह पंजीकरण के लिए सामान्यत: 100 रुपये से लेकर 500 रुपये तक की फीस वसूली जाती थी। कई स्थानों पर इसे निबंधन केंद्र, नगर पालिका या ग्राम पंचायत स्तर पर अलग-अलग रूप में लागू किया गया था। कई गरीब परिवार शादी के तुरंत बाद इसका खर्च वहन नहीं कर पाते थे, जिससे पंजीकरण में देरी या टालमटोल की स्थिति बनी रहती थी।

Uttarakhand : पंजीकरण को अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम

यह फैसला न केवल नागरिकों के लिए राहत का काम करेगा, बल्कि राज्य सरकार की उस मंशा को भी पूरा करेगा जिसमें सभी वैवाहिक संबंधों को सरकारी दस्तावेजों में दर्ज कराना अनिवार्य बनाया जाना है।

धामी सरकार ने पहले भी कहा था कि विवाह पंजीकरण न होने के कारण महिलाओं को अक्सर सामाजिक और कानूनी अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है। कई बार विधवा पेंशन, तलाक, संपत्ति विवाद, बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र जैसी सरकारी योजनाओं और दस्तावेजों में पंजीकरण की आवश्यकता पड़ती है।

Uttarakhand : डिजिटल माध्यम से पंजीकरण को मिलेगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार अब डिजिटल पंजीकरण प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाएगी। नागरिक अब घर बैठे मोबाइल या कंप्यूटर के माध्यम से विवाह पंजीकरण कर सकेंगे।

इसके लिए एक अलग वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप पर काम किया जा रहा है, जिससे प्रक्रिया न केवल सरल होगी, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

Uttarakhand : महिला सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय पहल

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला महिला सशक्तिकरण के नजरिए से भी अत्यंत प्रभावशाली है। रजिस्ट्रेशन होने से महिला को वैवाहिक अधिकार, सुरक्षा और सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलता है।

देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता आरती नौटियाल ने कहा, “शादी का रजिस्ट्रेशन महिला को उसके वैवाहिक अधिकारों की कानूनी गारंटी देता है। अब जब यह निःशुल्क होगा, तो कोई भी महिला या पुरुष इस अधिकार से वंचित नहीं रहेगा।”

Uttarakhand : सरकारी आंकड़ों में क्या कहता है ट्रेंड?

उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों से विवाह पंजीकरण की दर में सुधार हुआ है, लेकिन अब भी कई ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में यह आंकड़ा कम है। वर्ष 2023 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में हुए कुल विवाहों में से केवल 62% का ही पंजीकरण हुआ। सरकार अब इस दर को 100% तक ले जाने के लिए जनजागरूकता अभियान भी चलाएगी।

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Uttarakhand : जनता में सकारात्मक प्रतिक्रिया

CM धामी के इस फैसले पर आम लोगों और युवाओं ने सोशल मीडिया और स्थानीय प्लेटफार्मों पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं दी हैं। ट्विटर पर #FreeMarriageRegistration_UK ट्रेंड करने लगा है।

नैनीताल निवासी दीपक बिष्ट ने कहा,”सरकार का यह कदम बेहद सराहनीय है। इससे लोगों का भरोसा व्यवस्था में बढ़ेगा और कानून के दायरे में रहकर विवाह को मान्यता दी जा सकेगी।”

उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय न सिर्फ प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और कानूनी जागरूकता बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होगा। निःशुल्क विवाह पंजीकरण व्यवस्था से लाखों नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा और यह उम्मीद की जा रही है कि अन्य राज्य भी इससे प्रेरणा लेकर ऐसी पहल करेंगे।

सरकार के अनुसार यह नियम 1 जुलाई 2025 से राज्यभर में प्रभावी होगा और सभी जिला एवं तहसील कार्यालयों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

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