Bengaluru Road Rage : बेंगलुरु में एक चौंकाने वाला रोड रेज मामला सामने आया है जिसमें भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शीलादित्य बोस के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह घटना सोमवार सुबह उस वक्त हुई जब विंग कमांडर अपनी पत्नी स्क्वाड्रन लीडर मधुमिता दत्ता के साथ एयरपोर्ट जा रहे थे। इस बीच रास्ते में एक बाइक सवार से उनकी कहासुनी हो गई जो देखते ही देखते हिंसक झगड़े में तब्दील हो गई।
विंग कमांडर ने शुरुआत में दावा किया था कि बाइक सवार युवक ने उन्हें गालियां दीं और उन पर हमला किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी शेयर किया था जिसमें उनके माथे पर लगी चोट दिखाई दे रही थी। बोस ने बताया कि आरोपी ने उन पर चाबी से वार किया था जिससे उन्हें गंभीर चोट लगी। इस वीडियो के वायरल होते ही मामला सुर्खियों में आ गया और लोगों की सहानुभूति पहले बोस की ओर झुकती नजर आई।
लेकिन मामला तब पलट गया जब इस घटना से जुड़ा सीसीटीवी फुटेज सामने आया। इस वीडियो में देखा गया कि विंग कमांडर बोस ने खुद बाइक सवार को पहले पकड़कर धक्का दिया और फिर उसे मुक्का मारा। यही नहीं, वह युवक को गली तक खींचते हुए ले गए, जिससे यह साफ हो गया कि झगड़े की शुरुआत बाइक सवार ने नहीं की थी।
Bengaluru Road Rage : विंग कमांडर पर लगा जानलेवा हमला करने का आरोप
वीडियो सामने आने के बाद बाइक सवार, जिसकी पहचान विकास कुमार के रूप में हुई है, ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उसने बोस पर पहले मारपीट शुरू करने और धमकी देने का आरोप लगाया। दोनों पक्षों की शिकायतों के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की और अब विंग कमांडर बोस के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें जानलेवा हमले का आरोप भी शामिल है।
पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह मामला सिर्फ रोड रेज का है और इसमें किसी तरह का भाषाई या क्षेत्रीय विवाद नहीं है, जैसा कि शुरुआत में सोशल मीडिया पर फैलाया गया था। शुरुआती जांच के अनुसार दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे के साथ मारपीट की, लेकिन विडियो फुटेज ने यह साफ कर दिया कि पहली हिंसा की शुरुआत वायुसेना अधिकारी की ओर से हुई थी।
फिलहाल पुलिस दोनों पक्षों के बयानों और सीसीटीवी फुटेज की मदद से आगे की कार्रवाई कर रही है। विंग कमांडर बोस और उनकी पत्नी दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इस पूरे मामले ने न केवल सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है बल्कि सिविल और डिफेंस प्रोफेशनल्स के आचरण को लेकर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह मामला एक बार फिर यह याद दिलाता है कि कानून सबके लिए बराबर है, चाहे वह आम नागरिक हो या कोई उच्च पदस्थ अधिकारी। अब देखना यह है कि जांच के बाद कानूनी प्रक्रिया किस दिशा में जाती है और इस विवाद का क्या अंजाम होता है।