नई दिल्ली : यूपी में 126 चार्टर्ड अकाउंटेंटस जांच के दायरे में हैं जबकि, 29 चार्टर्ड अकाउंटेंटस की डिग्री छीन ली गई है. जांच और कार्रवाई की जद में आए इन चार्टर्ड एकाउंटेंट पर बैंक एनपीए, विलफुल डिफाल्टर, गलत आडिट और सीए एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप हैं.
‘द इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आफ इंडिया’ अब गलत प्रैक्टिस और आर्थिक अनियमितताओं में लिप्त चार्टर्ड एकाउंटेंट के खिलाफ सख्त हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, अभी देश में 1967 सीए के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं की जांच चल रही है. इनमें यूपी के 126 सीए शामिल हैं. इनमें से 182 के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है. 37 पर दोष साबित हो चुका है. 29 चार्टर्ड अकाउंटेंट को डिग्री छीनने, प्रैक्टिस के लिए अयोग्य घोषित करने जैसे दंड दिए गए हैं.
इस वर्ष जनवरी में अरबों रुपए के पॉवर कारापोरेशन के पीएफ घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने सीए ललित गोयल, ईशांत अग्रवाल और मनोज गोयल को गिरफ्तार किया था. आरोप है कि इन्होंने फर्जी ब्रोकर फर्म बनवाई और डमी कंपनियों के जरिए कमीशन की रकम को सफेद किया.
विगत वर्ष आईसीएआई स्थापना दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी के तंज- सीए न बचाएं तो कोई टैक्स चोरी नहीं करेगा. 2007 से 2018 के बीच 1400 सीए के खिलाफ शिकायतें हुईं, इनमें से महज 25 के खिलाफ कार्रवाई हुई थी. इसके बाद से भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति पर काम हो रहा है.
कार्रवाई का स्तर पर भी बढ़कर लगभग छह गुना तक हो गया है. द इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स आफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता ने बताया कि सीए एक्ट और मानकों के विरुद्ध कार्य करने वाले सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. अकेले यूपी में 126 सीए के खिलाफ जांच चल रही है. इनमें से 29 सदस्यों के खिलाफ आदेश पारित हो चुके हैं.
आपको बता दें, वित्तीय सेवाओं से जुड़े प्रोफेशनल्स पर निगरानी के लिए नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए) का गठन किया गया है. नए रेगुलेटर के पास सिविल कोर्ट जैसी शक्तियां हैं. वह समन के साथ ही जांच आदेश और दंड दे सकता है, जुर्माना ठोंक सकता है. छह महीने से दस साल तक प्रैक्टिस पर रोक भी लगा सकता है. उसके निर्णय को चुनौती के लिए एक अपीलीय अथॉरिटी भी है.