
80 साल की ये दादी मात्र 1 रुपये में बेच रही पेट भर इडली…
आज कल की महंगाई के दौर में जहां आम आदमी को अपना परिवार पालना मुश्किल हो रखा है। वहीं एक दादी ऐसी भी है जो इतनी महंगाई के बावजूद भी मात्र एक रूपए की इडली बेचती है।
पिछले 15 सालों से दामों में कोई परिवर्तन नहीं…
कोयंबटूर स्थित वडिव्लमपलायम गांव की 80 वर्षीय वृद्धा एम. कमलाथल से जिनके लिए खाना पकाना एक जुनून है। खासकर इडली बनाना जो कि वह पिछले 30 सालों से बना रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एम. कमलाथल की और भी ज्यादा आकर्षित करने वाली बात क्या है? इन गर्म उबली हुई इडलियों का दाम मात्र 1 रुपये पर प्लेट है, जिसमें कि पिछले 15 सालों से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
सुबह 5:00 बजे उठकर 8 किलो चावल से इडली…
वह सुबह 5:00 बजे उठकर 8 किलो चावल से इडली बनाने के लिए लेई बनाना शुरु कर देती है और चक्की पाट से चटनी तैयार करती हैं। वह अपनी दुकान को सुबह 6:00 बजे खोलती हैं और जब सारी लेई खत्म हो जाती है तब बंद कर देती हैं। ग्राहक सुबह 7:00 बजे से आना शुरू हो जाते हैं और कमलाथल अपने पारंपरिक इडली के बर्तनों में एक मिट्टी के चूल्हे और जलावन की लकड़ी की मदद से इडली बनाना शुरु कर देती हैं।
कमलाथल के परिवार में कोई नहीं…
जानकारी के मुताबिक, कमलाथल के परिवार में कोई नहीं है, वो अकेली हैं और रोजाना सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक वो काम करती हैं। वो रोजाना करीब 400-500 इडली बनाकर बेचती हैं और इसी से अपनी आजीविका चलाती हैं।
शुरुआती दिनों में कमलाथल 25 पैसे में इडली बेचती थीं…
शुरुआती दिनों में कमलाथल 25 पैसे में इडली बेचती थीं, लेकिन चावल, उड़द और नारियल की बढ़ती कीमत के कारण उन्होंने इडली की कीमत बढ़ाकर 1 रुपए कर दी। उनका यह काम मुनाफे से अधिक लोगों की सेवा भाव से जुड़ा हुआ है और यही वजह है कि उनकी दुकान पर छात्रों, सरकारी और निजी कंपनियों के कर्मचारियों, ड्राइवरों और दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ रहती हैं।
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