देहरादून: आज के इस दौर में अगर देखा जाए तो अगर शहरी क्षेत्रों में कुछ मिनटों के लिए बिजली चली जाए तो लोगों को कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वही आजादी के 72 साल बाद उत्तराखंड में आज भी कई ऐसे गांव यह जहां अभी तक भी बिजली की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में आप अब सोच ही सकते है कि वहां के लोग कैसे बिना बिजली अपना जीवन व्यत्तीत कर रहे होंगे। ऐसे में अगर किसी गांव में पहली बार रोशनी की चमक आए जाए तो फिर उस गांव के लिए के लिए इससे अच्छा पल और क्या हो सकता है।
आपको बता दें कि रविवार का दिन चमोली जिले के देवाल के घेस गांव के लिए ऐतिहासिक रहा। आजादी के सात दशक बाद इस गांव में बिजली पहुंची। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को देवाल विकासखंड के गांव घेस में आयोजित कार्यक्रम में जब बिजली का स्वीच ऑन किया तो ग्रामीणों के चेहरे खुशी से चमक उठे। हिमनी, बलाण व रामपुर तोरती गांवों में भी विद्युतीकरण होना है। उन्होंने कुटकी महोत्सव का भी शुभारंभ किया।
यह भी पढ़ें:चमोली: पूरे विधि-विधान के साथ 16 दिसंबर को बंद होंगे आदिबदरी नाथ के कपाट..
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य राज्य के सबसे दूरस्थ गांव का विकास करना है। उन्होंने भांग सहित औषधीय पादपों की खेती को प्राथमिकता देने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि घेस को एक मॉडल गांव बनाया जाएगा, जिसके लिए उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी चमोली को निर्देश दिए हैं।
कहा कि सरकार का मुख्य लक्ष्य किसानों की आय बढ़ाने के लिए क्षेत्र के दूरस्थ गांवों में जड़ी-बूटी, मटर, भांग की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। घेस में मटर व जड़ी-बूटी की खेती से किसानों की आय में लगातार इजाफा हो रहा है। पिछले वर्ष यहां किसानों ने 55 लाख रुपये का मटर बेचा और अब तक 25 लाख रुपये की मटर बाजारों में पहुंच चुका है। इस मौके पर उन्होंने भांग की खेती की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि भांग का संपूर्ण पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके रेशों से आठ प्रकार के उत्पादन तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने कीड़ा जड़ी विपणन के लिए सरल नीति बनाए जाने की बात रखी, जिससे क्षेत्रीय लोग इसका दोहन कर सकते हैं।