
माँ ने अपने इलाज के लिए बेचा नवजात को लेकिन फिर भी किस्मत को था कुछ और मंजूर…
रिपोर्ट: अजित सोनी
झारखंड: एक ओर केंद्र सरकार और राज्य सरकार गरीब लोगों के लिए कई तरह के कल्याणकारी योजना चला रही है। लेकिन जरूरतमंद गरीब लोगों के पास योजना नहीं पहुंचती है। जिससे गरीब लोग अपनी गरीबी को कोसने को मजबूर है।
10 हजार में नवजात को बेचा…
गुमला जिला के मुख्यालय के चंपानगर की रहने वाली झिबेल तिर्की ने आठवें बच्चे को जन्म दिया। लेकिन बीमार माँ के पास इलाज कराने के पैसे नही थे। जिसके बाद उस मां ने अपनी नवजात बच्ची को 10 हजार में बेचकर इलाज कराने गई लेकिन फिर भी अपनी जान नहीं बचा पाई और माँ की मौत हो गई।
न ही घर में राशन न ही गैस…
वहीं मृतक का पति बुधवा उराँव की स्थिति भी काफी खराब है उसका भी गुमला सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसे भी इलाज के लिए सरकार कि ओर से कोई सहायता नहीं मिल रही है। आश्चर्य कि बात तो यह है कि ना तो उसके घर में राशन कार्ड है ना ही उसके घर में उज्ज्वला योजना के तहत गैस है। वो लोग पेड़ से गिरे पत्तो से खाना बनाने को बेबस है|
माँ की भी गरीबी की वजह से हुई मौत…
वही मृतक का बेटा इस समय अपने पिता के इलाज के लिए परेशान है, क्योकिं उसके पास इलाज कराने के पैसे नहीं और ऊपर से उसकी मां की भी इलाज के अभाव में मौत हो गई। जिसको लेकर सरकार व जिला प्रसाशन से मदद की गुहार लगाई है।
लेकिन जिस तरह से जरूरत मंदों के लिए आयुष्मान भारत योजना चलाई जा रही है अगर समय रहते इस पर सरकार व जिला प्रसाशन ने ध्यान नहीं दिया तो आने वाला समय में आयुष्मान भारत योजना जरूरत मंदों के लिए इकदम बेकार की योजन साबित होगी।
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