
हरीश रावत को स्टिंग मामले में नैनीताल हाईकोर्ट से लगा झटका, CBI को FIR दर्ज करने की दी छूट
नैनीताल: पूर्व सीएम हरीश रावत के स्टिंग मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने CBI को FIR दर्ज करने की अनुमति दे दी है। मामले की अगली सुनवाई 1 नवंबर को होगी।
कपिल सिब्बल ने हरीश रावत की ओर से पैरवी की…
हाईकोर्ट में पूर्व सीएम हरीश रावत के स्टिंग मामले में आज सुनवाई हुई। पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने हरीश रावत की ओर से पैरवी की। सरकार व CBI की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल राकेश थपलियाल ने पैरवी की। कोर्ट के समक्ष CBI ने प्रारंभिक जांच की सीलबंद रिपोर्ट पेश की।
राज्यपाल द्वारा लिए गए निर्णय असंवैधानिक…
CBI के अधिवक्ता की दलील कोर्ट ने स्वीकार की। वरिष्ठ न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। सिब्बल ने एसआर मुम्बई केस का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल द्वारा लिए गए निर्णय असंवैधानिक हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बहाल हुई रावत सरकार के कैबिनेट ने स्टिंग मामले की जांच एसआईटी से कराने का निर्णय लिया था।
जानिए क्या है पूरा मामला…
- मार्च 2016 में विधानसभा में वित्त विधेयक पर वोटिंग के बाद 9 कांग्रेस विधायकों ने बगावत कर दी थी।
- जिसके बाद एक निजी न्यूज चैनल ने विधायकों की कथित खरीद फरोख्त का स्टिंग जारी किया गया था।
- स्टिंग के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल कृष्णकांत पॉल ने केंद्र सरकार को स्टिंग मामले की CBI जांच की संस्तुति कर भेज दी थी।
- केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 356 का उपयोग करते हुए रावत सरकार को बर्खास्त कर दिया था। बाद में हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से हरीश रावत की सरकार बहाल हो गई थी।
- बाद में कैबिनेट बैठक में स्टिंग प्रकरण की जांच सीबीआई से हटाकर एसआईटी से कराने का निर्णय लिया गया था। तत्कालीन बागी विधायक और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कैबिनेट के इस निर्णय को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी।
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