बागेश्वर: आज भी सड़क के लिए तरस रहा है ये गांव…
बागेश्वर: उत्तराखंड में ना जाने कितने एेसे गांव है जो आज भी विकास के लिए तरस रहे है। उत्तराखंड के इन गांवों की स्थिति आज भी वैसी ही है जो आज से ठीक 18 साल पहले थी। गांवों की स्थिति तो ऐसी है कि जहां अभी तक कई गांवों को जाड़ने वाले रास्ते नहीं बने है,वहां के लोगों को मजबूरन नदी को पार करके जाना पड़ता है। लेकिन इन लोगों की लाचार आवाजों को कौन सुने,कौन उनके दर्द को समझे। ना जाने कैसे ये लोग अपनी रोजमर्रा के दिन को काटते होंगें। पहाड़ों में इन्ही असुविधाओं के कारण लगातार पलायन हो रहा है।
प्रदेश सरकार के वर्तमान विकास द्वौर मे पहाड के विनाश की कहानी बताता बागेश्वर जिले में स्थित तल्ला तिपोला व मल्ला तिपोला का एक ऐसा गॉव। जहां के लोगों के लिए विकास अब बस एक सपना बनकर रह गया है। आपको बता दे कि इस गांव की स्थिति तो ऐसी है कि यहां अभी तक भी रोड़ नही पहुंची है। और यहां तक की ग्रामिणों के लिए पैदल जाने तक का रास्ता भी नही है। ना जाने प्रदेश में कितनी सरकारे आई होगी और ना जाने कितनी गई होगी लेकिन फिर भी यहां की स्थिती जस की तस है। इसमें कोई सुधार देखने को नही मिल रहा है।
बागेश्वर मुख्यालय से 46 किमी दूर काण्डा तहसील के मन्तोली और जेठाई ग्राम सभा के भर्दपते नदी के किनारे बसा गॉव है। इस गांव तक पहुंचने के लिए लोगों को दो बार नदि पार करने के बाद एक खडी चढाई के बाद ही गॉव तक पहुॅचा जा सकता है। घोडो के माध्यम से नदि मे पानी कम होने पर ही राशन आर पार बडी मुश्किल से किया जाता है। सीमांन्तवादी गॉवो के पुराने बुढे बासिदे गॉवो के लोगो को अब जिदंगी बोझ सी लगने लगी है।
इस गांव तक पहुंचने के लिए पैदल रास्ता तक नही है। पहाड़ो से लगातार पलायन हो रहा है जो पलायन कर चुका है। वो दोबारा गॉव की और आता नही, बस गॉव मे पुराने बिमार बूढे लोग संसाधनो की कमी की कारण व जननेताओ की वादा खिलाफि के कारण घूट घूट कर दम तोडने को मजबूर है। वही क्षेत्रीय विद्यायक चन्दन म दास का कहन है। कि मेरे द्वारा मल्ला तिपोला और तल्ला तिपोला गॉव तक रोड पहॅुचाने के लिये प्रस्ताव दिया है। जल्द ही प्रथम किस्त आ जायेगी ।